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Tuesday, July 23, 2013

Dwarka Expressway "एक हाई रिटर्न प्रॉपर्टी डेस्टिनेशन "


Dwarka Expressway  जिसे हम northern periphery road भी  कहते है , यहाँ की प्रॉपर्टी सबसे ज्यादा appreciation सारे गुडगाँव में देने वाली प्रॉपर्टी में उभरी है / यह एक्सप्रेसवे साउथ वेस्ट डेल्ही और खेर्की दौला गुडगाँव को आपस में जोड़ती है /अगर हम डेल्ही एनसीआर के सभी आने वाले प्रोजे
क्ट्स को देखे तो यह एक्सप्रेसवे सबसे जयादा return दे सकता है /
अगर हम कुछ नए सर्वे पर नज़र डाले तो पाएंगे कि लगभग 50% price Appreciation हुआ है , जो सबसे ज्यादा है यह appreciation केवल डेल्ही एनसीआर में ही नहीं ज्यादा है , comparatively  मुम्बई , चेन्नई , बंगलुरु और पुणे से भी, उनके  किसी लोकेशन के प्रॉपर्टी से ज्यादा है . 
यह dwarka expressway 18 अलग अलग सेक्टर को आपस में connectivity देता है / इसका निर्माण हुडा द्वारा 1. 2 million के cost पर कराया जा रहा है ,गुडगाँव मानेसर मास्टर प्लान 2031 के अनुसार यह expressway  रास्ट्रीय राजमार्ग -8 को द्वारका से जोड़ता है .और इसके दोनों  तरफ 30 मीटर की ग्रीन एरिया निर्धारित है / 
DTZ इंडिया के अनुसार यहाँ की प्रॉपर्टी लगभग  25% से 30%  price appreciation प्रति वर्ष के अगले 5 साल तक मिल सकते है /वही  knight frank के लगभग 16% की growth एक निर्धारित समय में अनुमान कर रहा है /  आज यहाँ पर कितने ही बिल्डरों ने अपने नए नए प्रोजेक्ट को लेकर आ रहे है / प्रमुख रूप से पूरी, रहेजा, ऍम 3 ऍम , अर्थ इन्फ्रा आदि / इसी क्रम में कुछ बाहर  के बिल्डर भी द्वारका एक्सप्रेसवे पर प्रॉपर्टी ला रहे है जैसे : शोभा डेवेलोपेर्स  , गोदरेज , महिंद्रा & टाटा हाउसिंग / 
आने वाले कुछ 5 से 7 साल में यह द्वारका एक्सप्रेसवे  resale प्रॉपर्टी के लिए एक hot destination होगा / 

Friday, September 9, 2011

प्रोपर्टी बाज़ार - रेसेसन के बाद की स्थिति -


प्रोपर्टी के दाम (बढ़ता - घटता क्रम ) 
जिस प्रकार आर.बी .आई  ने रेपो रेट ५० बेस पॉइंट मई २०११ में बढाया , जिससे बैंक के व्याज दर में .५ - .७५ bps की वृद्धि हुई. जो एक नकारात्मक सन्देश खरीददार को जाता है/ यदि हम अलग - अलग शहरो के price Index  को देखे, तो हमे बहुत विभिनता दिखाई देता है/ 


बंगलुरु - जो प्रोपर्टी का दाम २००५ से २००७ तक आते -आते दुगुना से भी ज्यादा था, वही २००८ के रेसेस्सन में गिर कर नीचे आ गया, केवल सेंट्रल बंगलुरु को छोड़कर अन्य  बंगलुरु का बाज़ार अपनी पुराने दाम को  रिकवर नहीं कर पाया है/ केवल सेंट्रल बेंगलुरु में ही स्थिरता  नज़र आती है /

चेन्नई - यही हालत चेन्नई की है , वहा भी प्रोपर्टी का दाम रेसेस्सन के बाद थोडा ऊपर उठकर स्थिर हो गया है यहाँ साउथ चेन्नई के प्रोपर्टी का दाम अन्य जगहों से ज्यादा है/

हैदराबाद - यहाँ पर आई.टी और आई. टी . इ . एस कंपनियो के झुकाव के कारण सेंट्रल और पश्चिमी  हैदराबाद के दाम में भरी उछाल दिखाई देता है, बाकि अन्य जगहों पर थोडा बहूत ही बढ़ोतरी दिखाई देती है/

कोलकत्ता - कोलकत्ता एक ऐसा शहर था जहा पर रेसेस्सन का प्रोपर्टी बाज़ार पर थोडा भी असर नहीं दिखाई दिया, यहाँ प्रोपर्टी का दाम अपने खास समय अंतराल पर बढती हुई नज़र आती है/ नए सरकार की कुछ नीतिओ के कारण पूर्वी , पश्चिमी और दक्छिनी कोलकत्ता में कुछ बढ़ोतरी होती दिखाई दे रही है/ 

मुंबई - प्रोपर्टी का दाम - स्थिर (रेसेस्सन के बाद ) 
लेकिन अगर हम एरिया के हिसाब से देखे तो ठाणे जिले के प्रोपर्टी का दाम अन्य जिलो से कही ज्यादा बढ़ता हुआ दिखाई देता है/ मुंबई और उसके नजदीक के एरिया में नए प्रोजेक्ट में एप्रूवल  की कमी के कारण देरी हो रही है/ 

पुणे - रेसस्सन के बाद बाज़ार आज पुनः अपने पुराने ग्रोथ को पार करने लगी है/ सभी शहरों की अपेक्षा पुणे में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गयी थी , लेकिन जिस रफ़्तार से वहा २००८ में में गिरावट दर्ज हुई , उसी रफ़्तार से वहा की प्रोपर्टी बाज़ार  अपने को रिकवर कर लिया/ कोमेर्सिअल और ऑफिस स्पेस के ज्यादा डिमांड के कारण आज भी पश्चिमी पुणे, दक्षिणी पुणे और पूर्वी पुणे में ज्यादा ग्रोथ देखने को मिल रही है / 
एन.सी.आर - 

१- गुडगाँव - यहाँ के  बाज़ार में प्रोपर्टी के अच्छे रिजल्ट दिखाई देते नज़र आ रहे है , रेस्सेसन के बाद पूरे एन.सी.आर गुडगाँव ही एक ऐसा बाज़ार है है जो डेवेलपर्स को एक अच्छी राह दिखा रहा है , आज हर  बड़े डेवेलपर्स का नया प्रोजेक्ट गुडगाँव में लौंच हो रहा है, 

२- नॉएडा - नॉएडा का प्रोपर्टी बाज़ार हाई डिमांड और हाई सप्लाई के कारण कुछ बढ़ोतरी दिखाई देती है, प्रोपर्टी बाज़ार के दाम बढ़ने में सहायक हो रहे है / 

३- ग्रेटर नॉएडा - यहाँ की प्रोपर्टी  किसानो के डिस्प्यूट और भूमि अधिग्रहण नीतिओ के कारण आज कल चर्चा में है, रेसेस्सन  के बाद जो उछाल यहाँ पर उम्मीद की जा रही थी, वो पिछलो कुछ महीनो में एक दम धडाम से नीचे गिर गया है / आज यहाँ के प्रोपर्टी बाज़ार से कस्टमर दूरिया बनाये हुए दिखई दे रहे है / 

४- डेल्ही - यहाँ का बाज़ार लगातार बढ़ोतरी ही देख रहा है , उत्तरी और पूर्वी डेल्ही में अभी स्थिरता आ गए है लेकिन आज भी साउथ डेल्ही का प्रोपर्टी बाज़ार अन्य जगहों से ज्यादा है , ऑफिस स्पेस के लिए सेंट्रल डेल्ही. 

५- गाजिआबाद - यहाँ का प्रोपर्टी बाज़ार पिछले कुछ दिनों से स्थिरता के बाद पुनः ग्रेटर नॉएडा प्रकरण के कारण उछाल पर आ गया है , 

यदि पूरे एन . सी . आर . पर नज़र डाले तो साउथ डेल्ही का प्रोपर्टी बाज़ार आज भी गुडगाँव , नॉएडा , ग्रेटर नॉएडा और गाजिआबाद की अपेक्षा काफी ज्यादा है/  ग्रेड - ए ऑफिस के लिए मानेसर आजकल डेल्ही प्रोपर्टी के लिए अच्छा विकल्प बन रहा है / 

इसी प्रकार द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहर में प्रोपर्टी के दाम उसके आस - पास के शहर तथा उसके जमीन के उपलब्धता के अनुसार घटता  बढ़ता रहता है /  

(आल अनालिसिस बेस्ड ऑन लास्ट ४ मंथ्स )
(आभार - हिंदुस्तान टाइम्स , द हिन्दू , अनालिसिस ऑफ़ आईसीआईसीआई  मार्गेज वलुएसन ग्रुप ) 

Thursday, September 8, 2011

बदलता बनारस पार्ट - २

बदलता बनारस पार्ट - २ 


आज बनारस, रियल एस्टेट इंडस्ट्री  के लिए वरदान साबित हो रही है, जिस प्रकार यह शहर बिहार और पूर्वांचल के व्यापारिक राजधानी हुआ करती थी/ आज बदलते परिवेश में बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स का गढ़ होता जा रहा है , आज यहाँ उची उची ईमारत आपको हर चौराहे पर मिल जायेगा/  कुछ स्थानीय बिल्डर शुरआत में बहुत ही कम मार्जिन में बिल्डिंग को बनाया और बेचा , लेकिन उन्हें उम्मीद से कही ज्यादा सफलता मिली / जैसे - सूर्या काम्प्लेक्स, एलेक्सी बिल्डर  एंड चंद्रा बिल्डर,  इन्होने खरीदादर की नब्ज को पकड़ लिया/ यहाँ से हुई छोटी सी शुरुआत आज एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री का रूप ले चुका है/ आज केवल बनारस शहर में ही २० से ज्यादा ग्रुप होउसिंग इमारतों का निर्माण कार्य चल रहा है / इनमे प्रमुख बिल्डर - रुद्रा रियल एस्टेट , विनायक, स्वस्तिक , के.बी.न , चंद्रा , तुलसी , वाराणसी बिल्डर, रोमा बिल्डर आदि, इसके आलावा कुछ अन्य बिल्डर भी नए-नए नाम से छोटे छोटे प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे है/ ये बदलती बनारस की तस्वीर, यदि बिल्डर के लिए प्रोफिट का मशीन साबित हो रही है , तो वही सिक्के के दुसरे पहलु भी है, आज जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, चंदौली, मिर्ज़ापुर, भदोही, मऊ और सोनभद्र के प्रशिछित और फ्रेशर दोनों के लिए नौकरी के सुनहरा मौका साबित हो रहा है/ आज यहाँ के प्रशिछित युवको का पलायन कम होने लगा है/ वही यहाँ के निवासिओ को बनारस में रहने / इन्वेस्टमेंट के लिए एक सुरक्षित अशिआना मिल रहा है/ 
आज बनारस में मेट्रो शहर की तरह ८ से १२ मंजिल के इमारतों का निर्माण हो रहा है, सारे शहर में इन् प्रोजेक्टों को बनाने वास्ते जमीन के लिए बिल्डर ने अपनी तीसरी आंख खोल रखी है, कोई भी जमीन का टुकड़ा भी आज उनके लिए सोने के अंडे देने  वाली मुर्गी साबित हो रही है/ आज यहाँ बड़े - बड़े मॉल , ग्रुप होसिंग , विला , अपार्टमेन्ट का निर्माण कार्य चल रहा है/ प्रमुखतः विकसित होने वाली एरिया जैसे - सुन्दरपुर , शिवपुर , पहाडिया , रथयात्रा , सिगरा , महमूरगंज, लहरतारा आदि / जिस रफ़्तार से  यहाँ बड़े-बड़े बिल्डिंग का विकास हो रहा है , उसी तरह एरिया का भी विकास हो रहा है , ये बढती हुए विकास की दिशा निवासिओ के रहन सहन को प्रभावित कर रही है /
आज यहाँ की प्रोपर्टी की कीमते पिछले दो- तीन सालो में दोगुने से भी ज्यादा होती जा रही है , बढती हुए कीमते पर भी खरीदार अपने पैसे का सही इन्वेस्टमेंट समझ रहे है. आज यहाँ बनने वाली बिल्डिंग की ८०% बुकिंग पहले ही हो चुकी है, आज यहाँ बनारस शहर और पडोसी शहर के अलावा बाहर के कस्टमर ने भी अपने - अपने पैसे का यहाँ  अच्छा रिटर्न देख रहा है/

लेकिन इन् बढती गलाकाट प्रतियोगिता के कारण यहाँ की संस्कृति कही लुप्त होती जा रही है, यहाँ के लोग अपने पुराने भवनों को तोड़कर फ्लैट बनवा रहे है, इन् बढती जमीन की मांग, इसके दाम को इतना ऊपर कर दिया है कि अब जमीन आम - आदमी के पहुच से बहुत बाहर चला गया/ आम आदमी के सपनों का घर अब बहुत दूर चला गया है , लोगो कि रहन सहन में परिवर्तन आ गया, यहाँ अब लोग फ्लैट संस्कृति को पूरी तरह अपना लिए है/ बढती हुए ईमारत कि मंजिल यहाँ के पुराने और दर्शनीय भवनों को मुह चिढाते नज़र आते है / 
   

Sunday, September 4, 2011

बदलता बनारस !!!!!!!!!!!!!

इस पूरे सप्ताह बनारस शहर को एक प्रोफेसनल तरीके से देखने और और उसका अनाल्सिस करने का मौका मिला / आज लग रहा था की यह कभी धर्मिक नगरी कही जाने वाली यह बनारस शहर, बड़े बड़े महानगरो की चका चौंध में काशी नगरी कही विलुप्त होने सी लगी है / आज पूरे पूर्वांचल के लिए बड़ा बाज़ार बन गया है, लोंगो की बढती परचेजिंग पॉवर बड़े बड़े ब्रांड को  tier ३ शहरों में एक बड़ा बाज़ार बना रहा है/ आज बढ़ता  माल कल्चर बड़े बड़े ब्रांड अपने को स्थापित करने में सहायक हो रहे है/ लोंगो की भीड़ से आज पूरा बाज़ार ढका सा रहता है , इस भीड़ को देखकर सभी ब्रांड के सेल्स मेनेजर अपने नए नए टार्गेट सेट कर रहे है और लगातार उसे अचीव भी करते नज़र आ रहे है / आज पूरे शहर में adidas , liliput , liberty , mochi , levis , etc , अपने पैर पसार रहे है/ आज पुराने सिनेमा हाल जैसे - नटराज , टकसाल , विजया , अभय , कन्हिया चित्र मंदिर , मजदा , आनंद मंदिर ,, या तो बंद हो चुके है या बंद होने की कगार पर है, उनकी जगह multiplex  ने ले लिया है, आज लोग ३० - ३५ रुपये की जगह लोग १०० - १५० रुपये में multiplex जाना कही अच्छा  समझने लगे है या status मेंटेन करने लगे है / 
आज इन माल culture में पुरानी गोदौलिया, नयी सड़क , चौक , मैदागिन की मार्केट कही छोटी नज़र आती है ,, आज काशी की "अड़ी"  कही नज़र नहीं आती , आज "पक्के  महाल " , "दसस्वमेघ घाट " , चौक , "भैरव गली", अस्सी घाट के चाय की दुकानों पर लगने वाली "अड़ी" कही गुम सी होने लगी है, आज यहाँ पुराने मकानों की जगह बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स ने ले लिया है/ धीरे धीरे सारा शहर चार पहिया बहनों से ढका सा जा रहा है, लोग लोन लेना अब बुरा नहीं समझते , आज यहाँ हर दूकान पर क्रेडिट कार्ड से पेमेंट आप्शन भी है.. लोग धीरे - धीरे ही सही मेट्रो सिटी का अनुभव सा करने लगे है / लेकिन डर ये है कही बनारस की परंपरा कही इन् मेट्रो सिटी बनाने में खत्म ना होने लगे ... कही सुबह - ए -  बनारस की शुरुआत  कचौड़ी - जलेबी की जगह पिज्जा और बर्गर से ना होने लगे .................... 

Tuesday, July 19, 2011

नॉएडा विस्तार जमीन अधिग्रहण मामला !!! # कोई बिल्डर और खरीदार से भी पूछ लो ..................





आज शाम प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में नॉएडा विस्तार की खबरों का ही सराबोर रहा , बहुत लोग खुश है , बहुत लोग अदालत के फैसले का सम्मान कर रहे है ,, लेकिन उन्होंने का क्या हर पक्ष को समझ लिया ,,इस पूरे प्रकरण में चार पार्टी मुख्यतः थी १ - ग्रेअटर नॉएडा अथोरिटी , २- बिल्डर ३- खरीदार ४ - किसान 
मैं भी किसान का समर्थक हु और खेती की जमीन का कामर्सिअल प्रयोग के खिलाफ हु ,  लेकिन क्या जिस समय ग्रेअटर नॉएडा अथोरिटी जमीन ले रही थी , उस समय किसान ने अपने उस विवेक का प्रयोग क्यो नहीं किया, जो आज कुछ स्थानीय नेता के नेतृत्व में खुद को ठगा सा प्रदसित कर रहे है ./ माना  राज्य सरकार ने रु ९०० प्रति वर्ग मीटर की दर से लेकर , उसे १०००० प्रति वर्ग मीटर की दर से बेच दिया और प्राइवेट बिल्डर को फ़ायदा पहुचाया . लेकिन आज जब बिल्डर ने उन जमीन पर अपने प्रोजेक्ट ला दिया , और उस फ्लैट को बेचने के लिए लाखो खर्च कर दिया ,, फिर उसके बाद इतना बवाल क्यों. 

आज के इस दौर में जब एक अच्छी सैलरी  वाला इंसान खुद का खर्च नहीं चला प् रहा है ,, तो वही ग्रेअटर नॉएडा , नॉएडा , गुडगाँव , सोनीपत, पानीपत, फरीदाबाद के किसान आपको बड़ी बड़ी गाडियो में घुमते मिल जायेंगे .. मैं ये पूछना चाहता हु ,, आखिर उनके पास इतने पैसे आये कहा से , आज किसान अपनी जमीन का मुह्मंगा कीमत लगाकर बिल्डर बेच देते है , वही जमीन बिल्डर जब १० गुना कर बेचता है, और इन १० गुना करने में उससे लाखो खर्च करने पड़ते है ,, इन् १० गुना कीमत देखकर किसान खुद को रोक नहीं पता , और उससे लगता है की उसने जमीन बड़ी सस्ती बेच दी // 

आज के दौर में मेट्रो सिटी के नजदीक के गाँव , मेट्रो की चकाचौध में क्रषि छोड़ स्वय कोई व्यापार के चक्कर में पड़ा रहता है , आज आपको डेल्ही , गुडगाँव के कंपनियो में चलने वाले ज्यादातर गाड़ी इन्ही सो काल्ड  किसानो की है , जो इससे किराये पर चलवाते  है / हो सकता है सरकार ने नॉएडा की जमीन बहुत कम मुआवजा पर खरीद ली,, क्या आज भारत सरकार या राहुल गाँधी जी फरीदाबाद, सोनीपत , पानीपत, पलवल , भिवानी , आदि जगहों पर भी जाकर देखा की वहाँ जो जमीन बिल्डर अपने प्रोजेक्ट बना रहे है ,, क्या वो जमीन किसी किसान की न होकर किसी और की है ,, क्या वो जमीन खेती युक्त  नहीं है / दनकौर गाँव के सुन्दर को १३ बीघे के रु २६ लाख मिले थे , वो २६ लाख उन्होंने ४ लोंगो में बाँट लिया . वो ८ साल में खर्च कर दिया , आज उन्हें अपनी जमीन याद आ रही है . इस्सी प्रकार रामकिशन शर्मा की ७५ बीघे जमीन का रु 50 लाख से ज्यादा मिला , उसे उन्होंने तीन भाइयो में बाँट दिया , कुछ इलाज़ में , कुछ शादी व्याह में , कुछ नयी गाड़ी खरीदने में , ,, आज ८ साल बाद कुछ नहीं बचा तो जमीन की याद आ गयी . 
आज के माननीय उच्च न्यायलय के निर्णय सराहनीय रहा ,, लेकिन क्या ये न्यायलय केवल किसानो को देख रहा है ,, उन् खरीदार का क्या होगा , जिन्होंने अपने जीवन भर की कमाई अपने सपने को साकार करने में लगा दिया . उन बैंक का क्या होगा जिन्होंने लोन पास किया था , उनकी गलती कहा रह गयी , 
-किसानो से कोई ये पूछो की 8 बाद उन्हें अपने जमीन की याद आये , जब पैसे खत्म हो गए 
-कुछ स्थानीय नेता से कोई ये पूछे की उस समय आप कहा थे जब जमीन अधिग्रहण के बाद पैसा वितरित हो रहा था 
-राहुल जी से कोई ये पूछे की क्या कांग्रेस सरकार शासित राज्य में जमीन पर कोई प्राइवेट बिल्डर प्रोजेक्ट न बनाकर खेती कर रहे है 
-किसी ने बिल्डर से पुछा की उनका जो करोड़ खर्च हुए उसकी भरपाई कौन करेगा . 

Tuesday, July 12, 2011

चाइल्ड लेबर : रु १.२ लाख करोड़ काले धन का स्रोत

बचपन बचाओ आन्दोलन नामक  संस्था ने अपने रिपोर्ट " कैपिटल करप्सन : चाइल्ड लेबर इन इंडिया " में ये विस्तृत किया है की , किस प्रकार भारत के छोटे - छोटे उद्योग चलने वाले मालिक बच्चो से मजदूरी कराकर अपने मुनाफे को दुगुना ,चौगुना करने में लगे है . 

अगर एक गड़ना के अनुसार भारत वर्ष में ६ करोड़ बाल मजदूर है ,, यदि यही ६ करोड़ बाल मजदूर साल के २०० दिन, रु १५ के औसत दर से मजदूरी पते है , तो जो पूरा मजदूरी रु १८००० करोड़ होगी , जो मालिक बिना किसी लिखा पढ़ी और टैक्स चोरी कर बाल मजदूरों को देता है / यदि यही कार्य मालिक युवा मजदूरों से संपन्न कराये / जैसे की ६ करोड़ बालिग मजदूर २०० दिन साल भर में रु ११५ के औसत दर से कार्य करते है तो उनकी पूरी मजदूरी रु १३८००० करोड़ बनती है //
लेकिन मालिक बालिग मजदूरों से न कराकर बाल मजदूरों से करवाता है और औसतन रु १.२ लाख करोड़ प्रतिवर्ष की बचत करता है ,, जो पेपर पर नहीं होता है //

आज पूरे दुनिया में सब से अधिक भारत ही बाल मजदूरी का अड्डा है ,, आज देश में करीब २० करोड़ बाल मजदूर है , जो अलग अलग उद्योग में अपने बचपन को खो रहे है ./ पूरा एशिया ४१ % बाल मजदूरी को प्रतिनिधित्व करता है , इसके साथ अफ्रीका ३३ %  लैटिन अमेरिका ८ %. आज हर तीन में से दो बाल मजदूर कृषि क्षेत्र में और १ बाल मजदूर इन्फोर्मल सेक्टर .. उनमे से कुछ    भीख मागने और कुछ क्राइम के राह में चले जाते है .. 
बाल मजदूरी मानव संसाधन के लिए एक आज भी एक गाली बनी हुई , सरकार आज भी बाल मजदूर माफिया के आगे नतमस्तक सी दिखाई देती है ,, आज भी आपको सवारी गाडिओं पर बच्चे खलाशी / क्लीनर , ढाबे पर छोटू नाम से , दूकानो पर माल ढोते हुए या ईट के भट्टे पर ईट ढोते हुए मिल जायेंगे // 

Monday, July 11, 2011

Real Estate Developers, Chance to gear up in Tier-2 & Tier -3 cities


As per housing census of India 2001, estimates that 27.81 % of total population lives in urban areas of the country. Ministry of housing & urban poverty alleviation in 2006 to assess that urban housing shortage in coming years. End of 10th five year plan (2007-2008) the total housing shortage in the country was 24.71 million and 11th plan (2007-2012) is 26.53 million (Population Delhi, Mumbai, Kolkata and Chennai, together with slum population and percentage of population living in slums,)
After recession, real estate companies again going to their extreme to sell their properties. They borrow lands from different location and launching affordable housing project in major cities.
Real estate companies now projected their customer belongs to tier 2 and tier 3 cities, top real estate companies target these cities to their currency container and tried to make more profit with less investment.
Delhi – NCR based developers are more concentrate on tier 2 and tier 3, it seems more opportunity in the small towns and the inventory piles up in tier 1 cities. Developers also identified low rise housing and plots as growth driver .

Major projected cities that contribute to growth of the real estate industry like – Noida, Ludhiana, Faridabad , Chandigarh, Rohtak ,Sonipat, Kanpur, Lucknow, Varanasi, Allahabad , Merrut, Hapur , Dehradun , Haridwar, Gwalior, Bhopal, Rewari etc

Developers such as Omaxe, Parswanath, Tata Realty, India bulls, Emaar – mgf, Eldeco have launched projects in tier – 2, cities are on high demand there . This is helping them offset losses in sales in metro markets such as Lucknow, Chandigarh, Jaipur, Patna and Allahabad. They are selling 300 units a month this year, against an average of 100 units a month in 2010.These includes plot, villas, floors, flats, and retail shops. People buying homes in tier -2 cities include Govt.servent.who have higher income with new pay scale, proffessionls like doctors , engineers and new generation of the business community who want to more open spaces and better lifestyle .

After global economic downturn , massive fall in the rentals in 2009, according to Cushman & Wakefield , 24 commercial property and about 25 mn units of residential property will be require to meet demand over 2010-2014 . Office space demand will total about 55mn sqft. Banglore, Delhi – NCR and Mumbai will generates demand for about 46 % of Indian space over the next five years with contribution of Chennai & Kolkata increase at a faster 17 % to 22 % respectively .

As per Head–Industry and Customized Research, CRISIL Research) 350 million square feet (msft) of residential construction will happens in this financial year (2011-2012).

But major small scale developers playing a major role in tier -2, tier- 3 cities and contributed 90% of the investment . because they know need of local customer and these are not investor driven. High class developer are showing renewed intrest and are buying small land parcels.

Buyer of these cities are less susceptible to market ups –down and intrest rate hikes . these customer avoid to take loan from bank (approx 30 % ) as compare to metro cities, who mostly depends on bank loans (approx 70 %)