My Blog List

Tuesday, July 12, 2011

चाइल्ड लेबर : रु १.२ लाख करोड़ काले धन का स्रोत

बचपन बचाओ आन्दोलन नामक  संस्था ने अपने रिपोर्ट " कैपिटल करप्सन : चाइल्ड लेबर इन इंडिया " में ये विस्तृत किया है की , किस प्रकार भारत के छोटे - छोटे उद्योग चलने वाले मालिक बच्चो से मजदूरी कराकर अपने मुनाफे को दुगुना ,चौगुना करने में लगे है . 

अगर एक गड़ना के अनुसार भारत वर्ष में ६ करोड़ बाल मजदूर है ,, यदि यही ६ करोड़ बाल मजदूर साल के २०० दिन, रु १५ के औसत दर से मजदूरी पते है , तो जो पूरा मजदूरी रु १८००० करोड़ होगी , जो मालिक बिना किसी लिखा पढ़ी और टैक्स चोरी कर बाल मजदूरों को देता है / यदि यही कार्य मालिक युवा मजदूरों से संपन्न कराये / जैसे की ६ करोड़ बालिग मजदूर २०० दिन साल भर में रु ११५ के औसत दर से कार्य करते है तो उनकी पूरी मजदूरी रु १३८००० करोड़ बनती है //
लेकिन मालिक बालिग मजदूरों से न कराकर बाल मजदूरों से करवाता है और औसतन रु १.२ लाख करोड़ प्रतिवर्ष की बचत करता है ,, जो पेपर पर नहीं होता है //

आज पूरे दुनिया में सब से अधिक भारत ही बाल मजदूरी का अड्डा है ,, आज देश में करीब २० करोड़ बाल मजदूर है , जो अलग अलग उद्योग में अपने बचपन को खो रहे है ./ पूरा एशिया ४१ % बाल मजदूरी को प्रतिनिधित्व करता है , इसके साथ अफ्रीका ३३ %  लैटिन अमेरिका ८ %. आज हर तीन में से दो बाल मजदूर कृषि क्षेत्र में और १ बाल मजदूर इन्फोर्मल सेक्टर .. उनमे से कुछ    भीख मागने और कुछ क्राइम के राह में चले जाते है .. 
बाल मजदूरी मानव संसाधन के लिए एक आज भी एक गाली बनी हुई , सरकार आज भी बाल मजदूर माफिया के आगे नतमस्तक सी दिखाई देती है ,, आज भी आपको सवारी गाडिओं पर बच्चे खलाशी / क्लीनर , ढाबे पर छोटू नाम से , दूकानो पर माल ढोते हुए या ईट के भट्टे पर ईट ढोते हुए मिल जायेंगे // 

No comments:

Post a Comment