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Friday, September 9, 2011

प्रोपर्टी बाज़ार - रेसेसन के बाद की स्थिति -


प्रोपर्टी के दाम (बढ़ता - घटता क्रम ) 
जिस प्रकार आर.बी .आई  ने रेपो रेट ५० बेस पॉइंट मई २०११ में बढाया , जिससे बैंक के व्याज दर में .५ - .७५ bps की वृद्धि हुई. जो एक नकारात्मक सन्देश खरीददार को जाता है/ यदि हम अलग - अलग शहरो के price Index  को देखे, तो हमे बहुत विभिनता दिखाई देता है/ 


बंगलुरु - जो प्रोपर्टी का दाम २००५ से २००७ तक आते -आते दुगुना से भी ज्यादा था, वही २००८ के रेसेस्सन में गिर कर नीचे आ गया, केवल सेंट्रल बंगलुरु को छोड़कर अन्य  बंगलुरु का बाज़ार अपनी पुराने दाम को  रिकवर नहीं कर पाया है/ केवल सेंट्रल बेंगलुरु में ही स्थिरता  नज़र आती है /

चेन्नई - यही हालत चेन्नई की है , वहा भी प्रोपर्टी का दाम रेसेस्सन के बाद थोडा ऊपर उठकर स्थिर हो गया है यहाँ साउथ चेन्नई के प्रोपर्टी का दाम अन्य जगहों से ज्यादा है/

हैदराबाद - यहाँ पर आई.टी और आई. टी . इ . एस कंपनियो के झुकाव के कारण सेंट्रल और पश्चिमी  हैदराबाद के दाम में भरी उछाल दिखाई देता है, बाकि अन्य जगहों पर थोडा बहूत ही बढ़ोतरी दिखाई देती है/

कोलकत्ता - कोलकत्ता एक ऐसा शहर था जहा पर रेसेस्सन का प्रोपर्टी बाज़ार पर थोडा भी असर नहीं दिखाई दिया, यहाँ प्रोपर्टी का दाम अपने खास समय अंतराल पर बढती हुई नज़र आती है/ नए सरकार की कुछ नीतिओ के कारण पूर्वी , पश्चिमी और दक्छिनी कोलकत्ता में कुछ बढ़ोतरी होती दिखाई दे रही है/ 

मुंबई - प्रोपर्टी का दाम - स्थिर (रेसेस्सन के बाद ) 
लेकिन अगर हम एरिया के हिसाब से देखे तो ठाणे जिले के प्रोपर्टी का दाम अन्य जिलो से कही ज्यादा बढ़ता हुआ दिखाई देता है/ मुंबई और उसके नजदीक के एरिया में नए प्रोजेक्ट में एप्रूवल  की कमी के कारण देरी हो रही है/ 

पुणे - रेसस्सन के बाद बाज़ार आज पुनः अपने पुराने ग्रोथ को पार करने लगी है/ सभी शहरों की अपेक्षा पुणे में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गयी थी , लेकिन जिस रफ़्तार से वहा २००८ में में गिरावट दर्ज हुई , उसी रफ़्तार से वहा की प्रोपर्टी बाज़ार  अपने को रिकवर कर लिया/ कोमेर्सिअल और ऑफिस स्पेस के ज्यादा डिमांड के कारण आज भी पश्चिमी पुणे, दक्षिणी पुणे और पूर्वी पुणे में ज्यादा ग्रोथ देखने को मिल रही है / 
एन.सी.आर - 

१- गुडगाँव - यहाँ के  बाज़ार में प्रोपर्टी के अच्छे रिजल्ट दिखाई देते नज़र आ रहे है , रेस्सेसन के बाद पूरे एन.सी.आर गुडगाँव ही एक ऐसा बाज़ार है है जो डेवेलपर्स को एक अच्छी राह दिखा रहा है , आज हर  बड़े डेवेलपर्स का नया प्रोजेक्ट गुडगाँव में लौंच हो रहा है, 

२- नॉएडा - नॉएडा का प्रोपर्टी बाज़ार हाई डिमांड और हाई सप्लाई के कारण कुछ बढ़ोतरी दिखाई देती है, प्रोपर्टी बाज़ार के दाम बढ़ने में सहायक हो रहे है / 

३- ग्रेटर नॉएडा - यहाँ की प्रोपर्टी  किसानो के डिस्प्यूट और भूमि अधिग्रहण नीतिओ के कारण आज कल चर्चा में है, रेसेस्सन  के बाद जो उछाल यहाँ पर उम्मीद की जा रही थी, वो पिछलो कुछ महीनो में एक दम धडाम से नीचे गिर गया है / आज यहाँ के प्रोपर्टी बाज़ार से कस्टमर दूरिया बनाये हुए दिखई दे रहे है / 

४- डेल्ही - यहाँ का बाज़ार लगातार बढ़ोतरी ही देख रहा है , उत्तरी और पूर्वी डेल्ही में अभी स्थिरता आ गए है लेकिन आज भी साउथ डेल्ही का प्रोपर्टी बाज़ार अन्य जगहों से ज्यादा है , ऑफिस स्पेस के लिए सेंट्रल डेल्ही. 

५- गाजिआबाद - यहाँ का प्रोपर्टी बाज़ार पिछले कुछ दिनों से स्थिरता के बाद पुनः ग्रेटर नॉएडा प्रकरण के कारण उछाल पर आ गया है , 

यदि पूरे एन . सी . आर . पर नज़र डाले तो साउथ डेल्ही का प्रोपर्टी बाज़ार आज भी गुडगाँव , नॉएडा , ग्रेटर नॉएडा और गाजिआबाद की अपेक्षा काफी ज्यादा है/  ग्रेड - ए ऑफिस के लिए मानेसर आजकल डेल्ही प्रोपर्टी के लिए अच्छा विकल्प बन रहा है / 

इसी प्रकार द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहर में प्रोपर्टी के दाम उसके आस - पास के शहर तथा उसके जमीन के उपलब्धता के अनुसार घटता  बढ़ता रहता है /  

(आल अनालिसिस बेस्ड ऑन लास्ट ४ मंथ्स )
(आभार - हिंदुस्तान टाइम्स , द हिन्दू , अनालिसिस ऑफ़ आईसीआईसीआई  मार्गेज वलुएसन ग्रुप ) 

Thursday, September 8, 2011

बदलता बनारस पार्ट - २

बदलता बनारस पार्ट - २ 


आज बनारस, रियल एस्टेट इंडस्ट्री  के लिए वरदान साबित हो रही है, जिस प्रकार यह शहर बिहार और पूर्वांचल के व्यापारिक राजधानी हुआ करती थी/ आज बदलते परिवेश में बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स का गढ़ होता जा रहा है , आज यहाँ उची उची ईमारत आपको हर चौराहे पर मिल जायेगा/  कुछ स्थानीय बिल्डर शुरआत में बहुत ही कम मार्जिन में बिल्डिंग को बनाया और बेचा , लेकिन उन्हें उम्मीद से कही ज्यादा सफलता मिली / जैसे - सूर्या काम्प्लेक्स, एलेक्सी बिल्डर  एंड चंद्रा बिल्डर,  इन्होने खरीदादर की नब्ज को पकड़ लिया/ यहाँ से हुई छोटी सी शुरुआत आज एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री का रूप ले चुका है/ आज केवल बनारस शहर में ही २० से ज्यादा ग्रुप होउसिंग इमारतों का निर्माण कार्य चल रहा है / इनमे प्रमुख बिल्डर - रुद्रा रियल एस्टेट , विनायक, स्वस्तिक , के.बी.न , चंद्रा , तुलसी , वाराणसी बिल्डर, रोमा बिल्डर आदि, इसके आलावा कुछ अन्य बिल्डर भी नए-नए नाम से छोटे छोटे प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे है/ ये बदलती बनारस की तस्वीर, यदि बिल्डर के लिए प्रोफिट का मशीन साबित हो रही है , तो वही सिक्के के दुसरे पहलु भी है, आज जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, चंदौली, मिर्ज़ापुर, भदोही, मऊ और सोनभद्र के प्रशिछित और फ्रेशर दोनों के लिए नौकरी के सुनहरा मौका साबित हो रहा है/ आज यहाँ के प्रशिछित युवको का पलायन कम होने लगा है/ वही यहाँ के निवासिओ को बनारस में रहने / इन्वेस्टमेंट के लिए एक सुरक्षित अशिआना मिल रहा है/ 
आज बनारस में मेट्रो शहर की तरह ८ से १२ मंजिल के इमारतों का निर्माण हो रहा है, सारे शहर में इन् प्रोजेक्टों को बनाने वास्ते जमीन के लिए बिल्डर ने अपनी तीसरी आंख खोल रखी है, कोई भी जमीन का टुकड़ा भी आज उनके लिए सोने के अंडे देने  वाली मुर्गी साबित हो रही है/ आज यहाँ बड़े - बड़े मॉल , ग्रुप होसिंग , विला , अपार्टमेन्ट का निर्माण कार्य चल रहा है/ प्रमुखतः विकसित होने वाली एरिया जैसे - सुन्दरपुर , शिवपुर , पहाडिया , रथयात्रा , सिगरा , महमूरगंज, लहरतारा आदि / जिस रफ़्तार से  यहाँ बड़े-बड़े बिल्डिंग का विकास हो रहा है , उसी तरह एरिया का भी विकास हो रहा है , ये बढती हुए विकास की दिशा निवासिओ के रहन सहन को प्रभावित कर रही है /
आज यहाँ की प्रोपर्टी की कीमते पिछले दो- तीन सालो में दोगुने से भी ज्यादा होती जा रही है , बढती हुए कीमते पर भी खरीदार अपने पैसे का सही इन्वेस्टमेंट समझ रहे है. आज यहाँ बनने वाली बिल्डिंग की ८०% बुकिंग पहले ही हो चुकी है, आज यहाँ बनारस शहर और पडोसी शहर के अलावा बाहर के कस्टमर ने भी अपने - अपने पैसे का यहाँ  अच्छा रिटर्न देख रहा है/

लेकिन इन् बढती गलाकाट प्रतियोगिता के कारण यहाँ की संस्कृति कही लुप्त होती जा रही है, यहाँ के लोग अपने पुराने भवनों को तोड़कर फ्लैट बनवा रहे है, इन् बढती जमीन की मांग, इसके दाम को इतना ऊपर कर दिया है कि अब जमीन आम - आदमी के पहुच से बहुत बाहर चला गया/ आम आदमी के सपनों का घर अब बहुत दूर चला गया है , लोगो कि रहन सहन में परिवर्तन आ गया, यहाँ अब लोग फ्लैट संस्कृति को पूरी तरह अपना लिए है/ बढती हुए ईमारत कि मंजिल यहाँ के पुराने और दर्शनीय भवनों को मुह चिढाते नज़र आते है / 
   

Sunday, September 4, 2011

बदलता बनारस !!!!!!!!!!!!!

इस पूरे सप्ताह बनारस शहर को एक प्रोफेसनल तरीके से देखने और और उसका अनाल्सिस करने का मौका मिला / आज लग रहा था की यह कभी धर्मिक नगरी कही जाने वाली यह बनारस शहर, बड़े बड़े महानगरो की चका चौंध में काशी नगरी कही विलुप्त होने सी लगी है / आज पूरे पूर्वांचल के लिए बड़ा बाज़ार बन गया है, लोंगो की बढती परचेजिंग पॉवर बड़े बड़े ब्रांड को  tier ३ शहरों में एक बड़ा बाज़ार बना रहा है/ आज बढ़ता  माल कल्चर बड़े बड़े ब्रांड अपने को स्थापित करने में सहायक हो रहे है/ लोंगो की भीड़ से आज पूरा बाज़ार ढका सा रहता है , इस भीड़ को देखकर सभी ब्रांड के सेल्स मेनेजर अपने नए नए टार्गेट सेट कर रहे है और लगातार उसे अचीव भी करते नज़र आ रहे है / आज पूरे शहर में adidas , liliput , liberty , mochi , levis , etc , अपने पैर पसार रहे है/ आज पुराने सिनेमा हाल जैसे - नटराज , टकसाल , विजया , अभय , कन्हिया चित्र मंदिर , मजदा , आनंद मंदिर ,, या तो बंद हो चुके है या बंद होने की कगार पर है, उनकी जगह multiplex  ने ले लिया है, आज लोग ३० - ३५ रुपये की जगह लोग १०० - १५० रुपये में multiplex जाना कही अच्छा  समझने लगे है या status मेंटेन करने लगे है / 
आज इन माल culture में पुरानी गोदौलिया, नयी सड़क , चौक , मैदागिन की मार्केट कही छोटी नज़र आती है ,, आज काशी की "अड़ी"  कही नज़र नहीं आती , आज "पक्के  महाल " , "दसस्वमेघ घाट " , चौक , "भैरव गली", अस्सी घाट के चाय की दुकानों पर लगने वाली "अड़ी" कही गुम सी होने लगी है, आज यहाँ पुराने मकानों की जगह बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स ने ले लिया है/ धीरे धीरे सारा शहर चार पहिया बहनों से ढका सा जा रहा है, लोग लोन लेना अब बुरा नहीं समझते , आज यहाँ हर दूकान पर क्रेडिट कार्ड से पेमेंट आप्शन भी है.. लोग धीरे - धीरे ही सही मेट्रो सिटी का अनुभव सा करने लगे है / लेकिन डर ये है कही बनारस की परंपरा कही इन् मेट्रो सिटी बनाने में खत्म ना होने लगे ... कही सुबह - ए -  बनारस की शुरुआत  कचौड़ी - जलेबी की जगह पिज्जा और बर्गर से ना होने लगे ....................